त बुझिह फगुनवा में होली आ गईल

जब पियर सरसो फुलाए लगल,
अमवा के डाली कोयल गाए लगल,
होत भोरवा घरवा मे लाली आ गइल,
त बुझीह फगुनवा मे होली आ गइल|
आमवा डलिया मंजराए लगल,
महुआ मदनरस कोचराए लगल,
सोना गेहुवा झुमत बाली आ गइल,
त बुझीह फगुनवा मे होली आ गइल|
बैरी बयरिया गोरीया मनवा बहकावे,
दहकल जोवनवा फगुनवा सजनवा बुलाये,
सावर गोरीया गलवा गुलाबी हो गइल,
त बुझीह फगुनवा मे होली आ गइल|
:रचयिता

अध्यक्ष, राष्ट्रीय कवि संगम,
जिला इकाई बोकारो