अदभुत कविता इतिहास की सच्चाई अदभुत हारा हुआ ‘गोरी’ महान हो गया, जब जयचंद गद्दार भाई-जान हो गया. इतिहास को छेड़कर
अदभुत कविता कागज के जिहादी अदभुत है कटु संवाद परन्तु, मर्यादा में सुनाता हूँ, ओ बाबर, खिलजी के नाती, एक बात
अदभुत कविता क्षणिकाएं कुहासा अदभुत मन की क्षुधा पिपासा, सुप्त है अभिलाषा. मृत हुई मृग-तृष्णा, खण्डित हो गई आशा. सभ्य
अदभुत कविता क्षणिकाएं मुखौटा अदभुत आकांक्षा जब पंख लगाये, बृहद गगन भी छोटा लगे. आदर्शों का मूल्य गिरे जब, खरा